Tuesday, May 16, 2017

वापसी...


कितना मुश्किल होता होगा लौट कर आना
शायद, उतना ही जितना पहली बार मिलना |
पैदाइश से होकर
एक उम्र से गुज़रकर
बेइंतहां झिझक और बेशुमार जुगत लगाकर
पहली मर्तबा मैं मिला था तुमसे,
हाथ मिलाने के बहाने छुआ था तुमको,
सच, ये कितना उम्दा रिवाज़ बनाया है किसी ने ।
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अब महज़ इंतज़ार है -
एक और उम्र के गुज़रने का
फिर पैदाइश से होकर
उस उम्र तलक पहुचने का
और
तुमसे पहली मर्तबा मिलने का ।
हाँ, शायद इतना ही मुश्किल होता होगा लौट कर आना रूही !!!